मानसरोवर--मुंशी प्रेमचंद जी

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माँ--मुंशी प्रेमचंद आदित्य की त्योरियों पर बल पड़ गए। बोले—यह बड़ा ही कटु अनुभव है करुणा! मुझे न मालूम था कि मेरे कैद होते ही लोग मेरी ओर से यों आँखें ...

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